• Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17

  • By: Yatrigan kripya dhyan de!
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Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17

By: Yatrigan kripya dhyan de!
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  • श्री भगवद गीता - अध्याय 17 (श्रद्धात्रय विभाग योग) अध्याय 17 का सारांश: यह अध्याय श्रद्धा के तीन प्रकारों और जीवन में उनके प्रभावों का वर्णन करता है। अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि जो लोग शास्त्रों के अनुसार आचरण नहीं करते लेकिन श्रद्धा के अनुसार कार्य करते हैं, उनकी स्थिति क्या होती है? इस पर श्रीकृष्ण श्रद्धा के तीन प्रकार—सात्त्विक, राजसिक और तामसिक—का विस्तार से वर्णन करते हैं। मुख्य विषयवस्तु: श्रद्धा के तीन प्रकार: सात्त्विक श्रद्धा: यह व्यक्ति शास्त्रों के अनुसार धार्मिक और निःस्वार्थ भाव से कार्य करता है। यह व्यक्ति ज्ञान, तपस्या और त्याग में विश्वास रखता है। राजसिक श्रद्धा: इ
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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 3
    Feb 1 2025

    यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.3 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं:

    "हे भारत! प्रत्येक व्यक्ति की श्रद्धा उसके सत्त्व के अनुसार होती है। व्यक्ति जिस प्रकार की श्रद्धा रखता है, वही उसकी प्रकृति का निर्धारण करती है।"

    भगवान श्री कृष्ण यह बताते हैं कि एक व्यक्ति की श्रद्धा उसके मानसिक गुणों और स्वभाव के अनुसार बदलती है। इस श्लोक से यह भी स्पष्ट होता है कि किसी व्यक्ति का आस्थावान दृष्टिकोण और जीवन में विश्वास उसके भीतर के सत्त्व, रजस और तमस गुणों से प्रभावित होते हैं।

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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 2
    Jan 31 2025

    यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.2 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण कहते हैं:

    "हे अर्जुन! तीन प्रकार की श्रद्धा होती है, जो प्रत्येक जीव के स्वभाव के अनुसार होती है: सात्त्विकी, राजसी और तामसी। अब तुम इस श्रद्धा के प्रकारों को सुनो।"

    भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह समझा रहे हैं कि श्रद्धा का प्रकार व्यक्ति के स्वभाव और गुणों पर निर्भर करता है। श्रद्धा का प्रभाव उस व्यक्ति के मानसिक और आत्मिक विकास पर पड़ता है, जो उसके गुणों और प्रवृत्तियों के अनुरूप होती है। भगवान श्री कृष्ण आगे इन तीन प्रकार की श्रद्धाओं के बारे में विस्तृत रूप से बताने वाले हैं।

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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 1
    Dec 22 2024

    "शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः | श्री कृष्ण के शास्त्र संबंधी संदेश"

    #शास्त्रविधि #श्रद्धा #कृष्ण #योग #भगवदगीता #धार्मिकसंदेश #हिंदूधर्म #शास्त्र #आध्यात्मिकता #भक्ति

    इस वीडियो में हम श्री कृष्ण के एक महत्वपूर्ण श्लोक का विश्लेषण करेंगे, जिसमें वह कहते हैं कि जो लोग शास्त्रविधि को त्यागकर श्रद्धा के साथ यजन करते हैं, उनकी निष्ठा का स्तर क्या होता है। श्री कृष्ण के इस संदेश को समझते हुए हम जानेंगे कि सत्त्व, रजस और तमस के गुण किस प्रकार प्रभावित करते हैं हमारी भक्ति और धार्मिक क्रियाएँ। इस वीडियो के माध्यम से हम शास्त्रों की महत्ता और सही विधि को समझने का प्रयास करेंगे।

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